वेदना
संवाद तात : (संवेदना के स्वर में) आज रात्रिभोज साथ ही करेंगे। प्रसूत : हूँ। तात : स्कूल जा रहे हो न? प्रसूत : हाँ। तात : हाँ—आ! स्कूल जाना बंद मत करना। प्रसूत : ( कुछ विचारकर, रुँधे गले से) हूँ। कविता वेदने! आएगी प्रणयी की याद, छाएगी वेदना विकराली। होगा जब प्रणय-स्थल, परिजनो से खाली।। हुआ है मानवता के नव-प्रसूत की स्व-मनीषा से आत्मानुभूत।।